इन दिनों सर्दी ने अपने तेवर दिखाना शुरु कर दिए है। ऐसे में बच्चों और बुर्जगों का खास ख्याल रखना पड़ता है। इन लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता काफी कम होती है। ऐसे में बच्चों और बुजुर्गों को कई घातक रोग अपनी चपेट में ले लेते है। इसमें से एक बीमारी है हाइपोथर्मिया जो सर्दियों में लोगों को जल्दी चपेट में ले लेती है। हाइपोथर्मिया को ही सामान्य भाषा में ज्यादा ठंड लगना कहा जाता है। ज्यादा ठंड नहीं सहन कर सकने वाले लोगों के हाथ-पैर ठंडे पड़ने लगते है। साथ ही पेट दर्द भी होने लगता है। बुजुर्गों और बच्चों का शरीर कमजोर होता है, जिस कारण ज्यादा ठंड नहीं झेल पाते। ऐसी हालत में शरीर को गर्म रखना ज्यादा जरूरी होता है। कमजोरी की वजह से शरीर तापमान संतुलन नहीं कर पाता, इसलिए खतरा ज्यादा बढ़ जाता है। ठंड में घर से बाहर निकलते समय गर्म कपड़े जरूर पहनें।

सर्दियों में घर से निकलते हुए इन बातों का खास ख्याल रखे
भूखे पेट घर से बाहर नहीं जाना चाहिए, क्योंकि खाली पेट से भी इस बीमारी का खतरा रहता है।
सिर से शरीर को ज्यादा गर्मी मिलती है, इसलिए सिर को टोपी या गर्म कपड़े से ढंककर रखें।

- हाइपोथर्मिया की स्थिति में रोगी को गर्म कपड़ों से ढंककर किसी गर्म कमरे में लिटा दें।
- हीटर या आग से सीधे गर्मी देना ज्यादा खतरनाक हो सकता है।
- अगर संभव हो तो रोगी के हाथ-पैर को रगड़कर गर्म करें।
- साथ ही बिना डॉक्टरी सलाह के कोई भी दवा देने से परहेज करें।
- जितना जल्द हो सके रोगी को डॉक्टर के पास पहुंचाना चाहिए।
- कई बार हाइपोथर्मिया जानलेवा भी साबित हो सकता है।
- हाइपोथर्मिया होने पर शरीर का तापमान सामान्य 37 डिग्री से कम होने लगता है।
- रोगी की आवाज धीमी होने के साथ-साथ उसे नींद आने लगती है। शरीर कांपने लगता है और हाथ-पैर जकड़ने लगते हैं।
- दिमाग का शरीर से नियंत्रण कम होने लगता है।