हमारे दिन की शुरुआत अक्सर चाय या कॉफी से होती है। ऐसे में अगर आप अपने सुबह की शुरुआत काफी से करती है तो यह आपके लिए अच्छी खबर है क्योंकि यह बेहतरीन स्वाद के साथ आपको सिरदर्द से तो राहत देती ही है। लेकिन क्या आपको पता है कि दुनियाभर में कॉफी का बढ़ता कंजम्पशन मेटाबॉलिक सिंड्रोम से भी जुड़ा हो सकता है? जी हां, हाल ही रिसर्चर्स ने अपनी एक स्टडी में यह बात पाई कि कॉफी पीने से कार्डियोवस्कुलर प्रॉब्लम्स होने का खतरा कम होता है।
एक स्टडी में पता चला है कि कॉफी पीने से मेटाबॉलिक सिंड्रोम metabolic syndrome (Mets) का खतरा काफी हद तक कम होता है और यही सिंड्रोम हमारे शरीर में कार्डियोवस्कुलर डिजीज का खतरा पैदा करता है। इसके साथ ही Metabolic Syndrome (Mets)हार्ट डिजीज हार्ट स्ट्रोक के लिए भी जिम्मेदार है। यूनिवर्सिटी ऑफ कैटेनिया, इटली के शोधकर्ताओं ने अपने नए शोध में यह दावा किया है। कैटेनिया विश्वविद्यालय के सहायक प्रोफेसर गिउसेप ग्रोसो ने पोलिश और इतालवी कॉहर्ट्स में कॉफी की खपत और मेटाबॉलिक सिंड्रोम के बीच कनेक्शन पता करने के उद्देश्य से यह शोध किया गया था।
शोधकर्ताओं का मानना है कि कॉफी में निहित पॉलीफेनोल्स विशेष रूप से फेनोलिक एसिड और फ्लेवोनोइड में शामिल हो सकते हैं। जो लोग सीमित मात्रा में कॉफी का सेवन करते हैं, उन्हें टाइप-2 डायबिटीज होने का खतरा भी कम होता है। शोध के दौरान प्रोफेसर ग्रोसो ने यह भी पाया कि जिन क्षेत्रों में कॉफी सीमित मात्रा में ली जाती है, वहां मृत्युदर में काफी कमी होती है। ये तथ्य जांचने के लिए ग्रोसो ने स्पेन की टॉलेडो यूनिवर्सिटी के एसोसिएट प्रोफेसर ऐस्टेफेनिया के रिसर्च डेटा की मदद ली।
यह शोध 13 वें यूरोपियन न्यूट्रिशन कॉन्फ्रेंस में प्रस्तुत किया गया, जो फेडरेशन ऑफ यूरोपियन न्यूट्रिशन सोसाइटीज (FENS) द्वारा आयरलैंड के डबलिन में आयोजित किया गया था। इस शोध में 22 हजार लोगों को शामिल किया गया, जिनसे कलेक्ट डेटा के आधार पर रिजल्ट निकला कि एक दिन में एक से चार कप (मग नहीं कप) कॉफी पीने पर मेटाबॉलिक सिंड्रोम का खतरा कम होता है।