हिन्दु मुस्लिम एकता की मिसाल है आलमआरा
हिंदू धर्म में 33 करोड़ देवी-देवताओं की पूजा की जाती है ऐसे में कुछ देवी देवताओं की पूजा हमारे देश में होती है तो कुछ अन्य देशों में भी पूजे जाते है। इन्ही भगवानो में एक है भगवान शिव इनकी पूजा सिर्फ भारत देश ही नहीं बल्कि अन्य देशों में भी की जाती है। हिन्दु धर्म में भगवान शिव की पूजा करने की अधिक मान्यता है। खासकर लोग सावन के महिने में इनकी पूजा करते है क्योंकि ऐसा माना जाता है यह महीना भगवान शिव का पसंदीदा महीना है। लोग सावन के महीने में भगवान शिव की आराधना के साथ ही सोमवार का व्रत भी करते हैं।
भारत में अनेकता हमें भी एकता है जहां एक ओर हिन्दु धर्म में मूर्ति पूजा को आस्था और विश्वास कर जरिया माना गया है वहीं इस्लाम में मूर्ति पूजा को हराम बताया गया है लेकिन आज हम आपको वहाँ की एक महिला के बारे में बताने जा रहे हैं, जो मुस्लिम होते हुए भी भगवान शिव की मूर्ति बनाती है। इसी वजह से लोग इसे इनके असली नाम आलमआरा से नहीं बल्कि नंदिनी के नाम से जानते हैं।
यह बनारस के प्रह्लाद घाट के पास रहती है। आपको जानकर हैरानी होगी कि लगभग पन्द्रह सालो से नंदिनी पारे से शिवलिंग बनाने का काम कर रही है। पारे से शिवलिंग बनाने के लिए सबसे पहले तरह पदार्थ को ठोस रूप में लाया जाता है। उसके बाद उसे खाँचे में रखकर शिवलिंग का रूप दिया जाता है। हिंदू धार्मिक मान्यता के अनुसार पारा धातु भगवान शिव का ही अंश है।
परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं होने की वजह से आलमआरा ने इस काम को करना शुरु किया उसके बाद से वह यही काम करने लगे। उन्होंने 16 ग्राम से लेकर 2.5 क्विंटल के पारे के शिवलिंग भी बनाए हैं। इनके बनाए हुए शिवलिंग भारत में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी जाते हैं। सावन के पवित्र महीने में उनके द्वारा बनाए गए शिवलिंग की माँग बढ़ जाती है।