कहते हैं दिल का रिश्ता अटूट होता है, फिर चाहे वो रिश्ता किसी गैर से हो या किसी अपने से, और अगर बात हो पारिवारिक रिश्तों की तो ये प्यार बहुत ही गहरा और अटूट हो जाता है. एक परिवार में जहा लोग साथ-साथ रहते हैं एक दूसरे का ख्याल रखते हैं, एक दुसरे के दुःख दर्द में साथ खड़े रहते हैं. लेकिन ऐसी किस्मत हर किसी की नहीं होती। आज हम आपको एक ऐसी दिल छू लेने वाली कहानी के बारे में बताने जा रहे हैं जिसमें दो बहने एक दूसरे से पूरे 47 साल बाद मिलीं। दोनों का ये मिलन देखना दिल छू लेने वाला था।
हम बात कर हैं कम्बोडिया की रहने वाली दो बहनों के बारे में जो एक राजनीतिक तख़्तापलट मे हुए नरसंहार में एक दूसरे से अलग हो गयीं थी, दोनों को यही लगता था के उनकी बहने मर चुकी हैं.
98 साल की बन सेन पिछले हफ़्ते अपनी 101 साल की बहन बन चिया और 92 वर्षीय भाई से मिलीं, ये नेक काम एक स्थानीय “चिल्ड्रन्स फंड” ने किया।
अंतिम बार इन दोनों ने एक दूसरे को साल 1973 में देखा था. ये तब की बात हैं जब कंबोडिया में पोल पॉट के नेतृत्व वाली खमेर रूज (कंबोडिया की कम्यूनिस्ट पार्टी) में आ गई थी. इस खेमर रूज के शासन काल (1975-1979) में तक़रीबन 20 लाख लोग मौत के घाट उतार दिये गए थे. बस यही वजह हैं कि दोनों को लगा कि शायद उनकी बहनें मर गई होंगी.
बन चिया के पती भी खेमर द्वारा मारे गए थे, ऐसी हालत में वह अपने 12 बच्चो के साथ विधवा जीवन जी रहीं थी. उन्हें यही लगता था उनकी बहन भी मर चुकी चुकी हैं. पोल पॉट द्वारा उनके परिवार के 13 लोग मारे गए थे.
दोनों बहनो को लगता था वह कभी एक दुसरे को नहीं देख पाएंगी लेकिन किस्मत का खेल देखिये जीवन के आखिरी पड़ाव पर दोनों एक साथ हैं.