दो दिन बाद बच्चे ने मांगा खाना तो फफक कर रो पड़ी मां
सरकारी जमीन से अतिक्रमण हटने के बाद उन बस्तियों में निवास करने वालों का समान जहां का तहां पड़ा है। टूटे मकान और बत्तर हलात देखकर जहां एक तरफ इन लोगों को अपनी किश्मत पर फूट फूट कर रोना आ रहा है। तो वहीं दूसरी तरफ समान का रखवाली करने के लिए रात भर रतजगा करना पड़ा रहा है।
हालात यह है कि इन बस्तियों में रहने वाले मासूम बच्चो को खाना तक नसीब नहीं हो रहा है। भूख से बच्चो का बूरा हाल तो वहीं प्रशासन इस मामले पर कान में तेल डाले बैठा है। राजपुर गांव के ज्यादातर लोग सड़क किनारे पेड़ो के नीचे अपने डेरा डाले है। कुछ लोगो बांस की लड़कियों पर कपड़ा बांध कर छाया कर रखी तो वहीं चार परिवारो ने सरकारी में पनाह ले रखी है, लेकिन वह स्कूल भी खाली करने के लिए लगातार दबाव बना रहा है।
महिलाओं ने कहा कि शिक्षकों ने दबाव दिया है कि यदि शाम तक स्कूल खाली नहीं किया गया तो वह पुलिस थाने में चोरी की रिपोर्ट दर्ज कराएंगे। इससे सुबह से ही यह महिलाएं फिर से अपना सामान समेटने में जुट गई हैं, इससे सोमवार को भी इन परिवारो को खाना नहीं मिल सका। इसी चार साल के बच्चे छोटू ने कहा मम्मी भूख लगी है तो उसकी मां अपने गृहस्थी के सामान की तरफ देखकर रो पड़ी। हालकि एसडीएम ने रविवार को निर्देश दिए थे कि इन परिवारों को खाना की व्यवस्था कराई जाए, किन्तु खाना तो दूर किसी ने पानी की व्यवस्था के बारे में भी नहीं पूछा।
पीएम और इंदिरा आवास भी हुए धरासाई
ग्रामीणों का कहना है कि इस जगह पर पीएम आवास और इंदिरा आवास भी बने थे। वहीं स्वच्छ भारत अभियान के तहत गांव को ओडीएफ बनाने के लिए प्रशासन ने घरों में शौचालय भी बनवाए थे। वहीं मुद्रा योजना के लाभ से कुछ दुकाने खोली गई थीं, लेकिन अतिक्रमण हटाने के समय पीएम आवास, इंदिरा आवास, शौचालय और मुद्रा योजना की दुकानें भी धरासाई हो गईं।
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