आजकल बच्चों के हाथ में शुरु से ही स्मार्टफोन आ जाता है, यहीं वजह है कि पुराने गिल्ली डन्डा और खोखो जैसे आउटडोर गेम अब कम ही लोग खेलते नज़र आते है। ऐसे में वर्किंग मम्मी-पापा के इस जमाने में बच्चों को प्यार करने का अंदाज भी बदल गया है। अब बच्चे को खुश करना हो, उसके प्रति प्यार दर्शाना हो तो मोबाइल या कोई इलेक्ट्रॉनिक गैजेट उसे थमा दिया जाता है। नन्ही उम्र से बच्चों को मोबाइल गेम खेलने या वीडियो देखने की लत से बच्चे एक भयानक बीमारी की चपेट में आ रहे है। आज हम आपको उसी बीमारी के बारे में बताने जा रहे है।
स्मार्टफोन की लत की वजह से आजकल छोटे-छोटे बच्चों को चश्मा या आंखों में कोई तकलीफ होना सामान्य सी बात है। लेकिन विकास की ओर ले जाते डिजिटल युग ने इसी के साथ बच्चों को एक नई बीमारी कम्प्यूटर विजन सिंड्रोम देदी है।
इस बीमारी की वजह घंटों डिजिटल स्क्रीन से चिपके रहना है और कई बार तो आंखें तक झपकाना भूल जाना है। जब तक संभलते हैं यह बीमारी अपना घर बसा चुकी होती है। इसे डिजिटल आई स्ट्रेन के नाम से भी जाना जाता है। यह तीन साल के बच्चे से लेकर बुजुर्गों तक को अपनी चपेट में ले लेती है। वैसे भी इसका खतरा बच्चों को ज्यादा होता है क्योंकि ज्यादातर मोबाइल और कम्प्यूटर की स्क्रीन की क्वालिटी उतनी अच्छी नहीं होती। अपने बच्चों को इस बीमारी से बचाने के लिए जानें इसके लक्षण।
अगर आपका बच्चा टीवी या लैपटॉप, मोबाइल पर कुछ देखते-देखतें आंखें भेंगी (स्क्विंट) करता है, मसलता है या बहुत ज्यादा झपकाता है तो सावधान हो जाइए। अगर यह सिलसिला एक या दो दिन से ज्यादा चलता है तो यह कम्प्यूटर विजन सिंड्रोम हो सकता है। इस मामले में अभिभावकों की भूमिका बेहद महत्वपूर्ण होती है, क्योंकि कई बार छोटे बच्चे उन्हें हो रही तकलीफ को ठीक से बता नहीं पाते। यह भी देखें कि आंखें लाल तो नहीं हो रही, सूखी तो नहीं या आंखों में खुजली तो नहीं हो रही, लगातार आंसूं तो नहीं टपक रहे।
कम्प्यूटर विजन सिंड्रोम में बच्चे को धुंधली या दो-दो इमेज दिख सकती हैं। अगर वह अपनी पसंदीदा कहानी या शो को ऑनलाइन देखने को तैयार न हो तो उससे जानने की कोशिश कीजिए कि क्या उसे धुंधला दिखाई दे रहा है। उसकी आंखों के सामने उंगलियों को रखकर पूछिए कि उनकी संख्या क्या है। इसके अलावा अगर वह गरदन और कंधों में दर्द की शिकायत करता है तो उसे भी गंभीरता से लीजिए और डॉक्टर की सलाह के साथ ही बच्चों के साथ समय गुजारे और उन्हें इलेक्ट्रोनिक गैजेट्स से दूरी बनाने में उनका मन आउटडोर गेम की तरफ ले जाएं।